Yug Purush

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The Devil, The Angel and I... भाग -2

“आप चन्द्रगुप्त हो ना   ? " उसके  हाथ मे जलटे हुए कागज को देखकर मैने पुछा

“चन्द्रगुप्त नहीं,  चित्रगुप्त…😠”

“हाँ वही । मैने सोचा था  कि आप मोर पन्ख से लिखते होंगे, पर आप तो इन्क पेन से लिखते है । खैर छोड़िये और ये बताइये  की मेरे लिए क्या ऑफर है ? "

“तुम्हारा समय अभी नही आया …”

इतना  बोलकर चित्रगुप्त अपने असिस्टेंट्स के साथ वहा से जाने लगा । चित्रगुप्त के असिस्टेंट्स  ने जब बाहर जाने के लिये गेट खोला तो मै भी दौड़कर गेट के पास आ गया, ये देखने के लिये कि बाहर आखिर है क्या... और उन लोगो ने लोकेश खुटे को कहा फेका था, लेकिन बाहर इतनी  तेज रोशनी थी कि मुझे रोशनी के सिवा बाहर कुछ दिखा  ही नही.

अब नरक मे अलॉट हुए फ्लैट मे हुम सिर्फ दो ही लोग रह गये थे ।उस तीसरे रूम क दरवाजा अब भी बन्द ही रहता था, पर रोने कि आवाज उसके  रूम से बराबर आती रहती थी.  नरक मे जैसे-जैसे समय  बीत रहा था...मुझे ये अहसास होने लगा था  कि पक्का उस तीसरे रूम मे कोई आदमी नही बल्की एक औरत रहती  है । मै उसे रोज आवाज देता था , उसे रोज रूम से बाहर  आने केलिये कहता था और फिर  एक दिन जैसे भगवान ने मेरी सुन ली । मै ऐसे ही अपने  रूम से निकला ही था  कि मैने तीसरे रूम क दरवाजा खुला हुआ पाया ।

कई  आशंकाओ  और उलझनो के साथ मैने उस तीसरे रूम के अन्दर देखा । पहले तो मुझे यकीन  ही नही हुआ  कि जो मै देख रहा हू,  वो सच है । उस रूम मे एक लड़की  थी जिसका  पुरा शरीर श्वेत था …उसके कपडे भी  श्वेत थे और उस्के पन्ख भी  । वो एक परी थी, यानि की एक ऐंजल  । मैने उसके चेहरे की तरफ देखा और बस देखता  ही रह गया  । मुझे नही लगता कि मैने अपनी  पुरी जिन्दगी मे उससे खूबसूरत कुछ  देखा  था  । वो जितनी  खूबसूरत थी ,उतनी ही उदस भी थी इसलिए वो अब और भी ज्यदा खूबसूरत  दिख रही थी । मेरी नजर बहुत देर तक सिर्फ और सिर्फ उसके चेहरे  पर अटकी रही ।


“तुमहारा नाम क्या है  ??…”उसने मुझे देख कर पूछा

“तुम बोलती भी  हो, मुझे तो लगा था सिर्फ रोती होगी ”रूम के अन्दर दाखिल होकर मैने कहा पर उसने मुझसे  एक बार फिर वही सवाल किया  की  मेरा नाम क्या  है ?

“हिमांशु  गौतम  और तुम्हरा ?…”

“मरसेला~Mercella … तुम्हरा चेहरा  ऐसा क्यु  है” अपनी आन्खे बड़ी बड़ी करके  मेरे चेहरे को देखते हुए वो पुछी

“जब मैन जिन्दा था, तब मेरा एक्सीडेंट हुआ था, तब से मै ऐसा ही हू। तुम्हारी मृत्यु कैसे हुइ थी  ?”

“मै अभी भी  जिन्दा हुँ … हम मरते नही "

“वॉव...  पर जब तुम मरी नही तो फिर  यहा क्या  कर रही हो ? क्या तुम्हे भी ये लोग कुछ दिन बाद, या कुछ  महिने बाद… या फिर  कुछ  सालो बाद नीचे  फेक देंगे ? जैसे उन्होने डेविल को फेका था ? पर तुम तो अमर हो ना  और फिर  मर भी नही सकती  फिर यहा कैसे, किसलिए  और क्यों  ?… "

“हमारी  दुनिया का दस्तूर है कि नियमो को तोडने पर हमे यहाँ  कैद कर दिया जाता है और हमारी  सजा पुरी होने पर हुम वापस अपनी दुनिया मे चले जाते है…तुम कहा से हो ?”

“मै भोपाल से हु  …मेरा मतलब मध्य प्रदेश् से …मेरा मतलब इंडिया से. Fuk, let's make it simple … i'm from the earth. You know earth ? Third planet from the sun ? We often call it the blue planet ”

“the land of humans ?”

“yeah.... कभी आयी हो तुम वहा …”

“हा... पर वहा के लोगो और पशुओ मे कोई फर्क नही.. वो एक जैसे  रह्ते है । जानवरो को मारकर  उन मांस खाते है और फिर ठण्ड  लगने  पर उन जानवरो की खाल ओढ़ते है । उन्हे अभी आग के बारे मे कुछ नही पता है …”

“तेरी तो....…”मैने मन मे कहा ।

उसकी  बाते सुनकर मुझे ख्याल  आया  कि मै उसकी  उम्र पुछु कि वो कितने  हज़ार साल की है लेकिन फिर मुझे अचानक पृथ्वी-लोक कि वो कहावत याद आ गयी जिसमे  कहते  है कि लड़कियों  से कभी उनकी  उम्र नही पुछ्ते । इसलिए  मैने अपना  वो सवाल ड्राप किया कक्यूंकि  वो एक परी हुइ तोक्या  हुआ , है तो एक लड़की ही ना । हम दोनो ने थोडी  देर और बाते की और फिर उसने मुझे वहा से जाने के लिये कहा ।


Mercella ने जैसा  बताया  था  उसके  अनुसार नरक उनके जाती के लोगो के लिये जेल  के समान था , जहा उनकी  दुनिया  के अपराधियों  को कैद किया  जाता  था. उस दिन के बाद मै अक्सर मेरसेला के रूम मे जाता ,उसे घूरता रहता  और दो-चार  बाते करके  वापस आ जाता  । मेरसेला से बात करने  मे मुझे बहुत ही सुकून मिलता था,  वो उस डेविल  से लाख गुना अच्छी और सुन्दर थी और एक स्त्री  भी । मै कभी उसके ज्यादा करीब नही गया क्यूंकि  मुझे डर था कि मुझे अपने ज्यादा करीब पाकर कही वो मुझसे डर ना जाये. मुझे मेरसेला  ने बहुत सी  बाते बतायी जैसे कि उनकी  दुनिया  ,हमारी  दुनिया  जितनी बड़ी नही है ।


उसने  बताया  की  भगवान  उन्हे सबसे  ज्यादा  पसन्द करते है, वगैरह.. वगैरह । अब मै हर वक्त सिर्फ और सिर्फ मेरसेला के बारे मे सोचा करता था, मै उसे पसन्द करने लगा था  या  फिर शायद प्यार करने लगा था ? पर ये कैसे मुमकिन  है ?  मेरा  दिल तोह बेजान है  , फिर बिना दिल के मै किसी से कैसे प्यार कर सकता हु  । क्या  दिमाग़ से भी प्यार होता है?  या फिर चेतना से...? होता होगा,  तभी तोमुझे मेरसेला  से प्यार हुआ ।मैने कई  बार कोशिश कि मेरसेला को ये बताने की …की मै उससे प्यार करता हु ,पर मै उसे कभी बता नही पया और फिर  एक दिन.......................................

वो अचानक चली गई .मुझे नही पता की  कैसे  ? और कब्… ? वो अकेले गयी या फिर कोई  उसे लेने आया  था । वो अपने पंखो के सहारे उड़ कर गई या  फिर  उसकी  दुनिया वालो ने उसे टेलीपोर्ट कर लिया ....  मुझे कुछ नही पता , मुझे जो पता था वो ये कि अब वो यहा से जा  चुकी है और इस तीन कमरे के फ्लैट  मे मै अब अकेला  पापी बचा था. मै अक्सर मेरसेला  के सूने कमरे  कि तरफ देखता  जिससे कभी -कभार मुझे ऐसा  लगता जैसे कि वो अब भी वही अपने  रूम मे बैठी  मेरा  इंतज़ार  कर रही है । पर वो वहा नही थी  ।वो तो.........................


वो तो, कब का  वहा से जा चुकी थी । मै उससे बहुत कुछ कहना चाहता था, पर उसके यूँ अचानक चले जाने से मेरे दिल की  कई बाते मेरे दिल मे ही रह गयी थी ।Mercella के जाने के बाद मै काफी समय  तक वहा रहा और फिर  एक दिन मेरे फ्लैट का दरवाजा खुला ।चित्रगुप्त आज भी अपने उन्ही दो पंटरो के साथ वहा आया  था । उसने अपनी नजर हाथ मे पकड़े  नोट्स मे डाली  और फिर  मुझे देखकर बोला…

“हिमांशु  गौतम्… तुमने अपनी जिन्दगी मे बहुत पाप किये है, जिसके  लिये तुम्हे जो भी  सजा दी जाये, वो कम है…पर तुम्हारे लिये मेरे पास एक ऑफर है…क्या तुम हमारे साथ अनन्त काल तक काम करना चाहोगे ? नारकोटिक्स डिपार्टम्नेट मे ?”

“यहा भी  नारकोटिक्स डिपार्टम्नेट है… ?”

“हा  और क्यूंकि  तुम खुद एक ड्रग एडिक्टड  रह चुके हो, इसलिए  तुम मुझे ड्रग्स  से रिलेटेड  इन्सानो के बारे मे बता सकते  हो, तुम यहा मेरे असिस्टेंट  के तौर पर रहोगे और सौ साल मे एक बार्, एक दिन के लिये तुम जहा जाना  चाहो, जिस रूप मे जाना चाहो…जा सकते हो । तो बताओ क्या तुम्हे मेरा  ये ऑफर स्वीकार्य है ?”

“thanks for the offer chitragupta ji , पर मेर जवाब  वही है जो डेविल का  था कि… कौन जलना  चहेगा,अनन्त काल तक इस नरक मे…इस आग मे”

“नो पप्रॉब्लम … असिस्टेंट  इसे भी नीचे फेक दो, आग के दरिया मे …”

और उसके इतना बोलते  ही चित्रगुप्त के साथ  आये उसके  दोनो पंटरो  ने मुझे उठाकर नीचे फेक दिया  । मै नीचे  गिरता  रहा और बस नीचे  गिरता रहा … मुझे कभी बेहिसाब गर्मी लगती तो कभी बेहिसाब ठण्ड  । कभी मै धीरे-धीरे नीचे गिरता तो कभी बहुत तेज स्पीड के साथ ।और फिर  मुझे नीचे आग का  दरिया  दिखायी दिया, जिसमे मै समा गया. मै जैसे ही आग के दरिया मे गिरा मेरे सामने अन्धेरा  छा  गया , पर मेर दिमाग  अब भी जिन्दा  था …मेरा दिमाग अब भी  कल्पनाये कर सकता था  ।पर मै हु कहा ?

“हिमान्शु.... तुम मुझे देख पा रहे हो ? "

“आवाज  तो सुनी -सुनी लगती  है…”

“मेरी आवाज की  तरफ अपना दिमाग केंद्रीत करो…”

जिस तरफ से मुझे वो आवाज आ रही थी , उस तरफ मै अपने  दिमाग को कॉंसन्ट्रेट  करने लगा जिसके  बाद मेरे आन्खो के सामने का अन्धेरा  धीरे-धीरे मिटने लगा , मुझे प्रकाश की कई किरणे  दिखायी दे रही थी  और थोडी ही देर मे मै वो सब कुछ  देख सकता  था ,जो कि एक आम इन्सान देख सकता  है ।मेरे सामने  इस वक्त एक आडमी खड़ा था, जो मेरे पास आया और मुझसे हाथ मिलाकर मुस्कुराते हुए बोला.....

“hello, I’m Lokesh Khute…your psychiatrist.you know me as The Devil”

“तुम तो एकदम ठीक  हो… ?”मुँह और आँखे दोनों फाड़ कर डेविल को देखते हुए मै सिर्फ इतना ही बोल पाया

“और तुम भी ”मुस्कुरते हुए उसने कहा

“क्या मै ज़िंदा हु ?”

“अपने दिल पर हाथ रखकर देखो”

“ये तो धडक रहा है । मै इसे मह्सूस कर सकता  हू…”अपने सीने मे हाथ रखकर मैने कहा और फिर  सामने खड़े  लोकेश कि तरफ देखा …जिसके पीछे दीवर मे एक आइनालगा हुआ था , जिसमे  मै खुद को देख सकता था ।

“ final  test ” बोलते  हुए लोकेश ने मुझे एक गिलास पानी दिया और उसे पीने का  इशारा किया  जिसे मै एक सांस मे पी गया ।

पानी पीने के बाद मै बहुत देर तक शांत बैठा  रहा , मैने कई चीज़े महसूस की  जैसे कि मै सांस ले सकता  हू और मेरे गर्दन पर किसी चीज से कटने  का निशान है । मै काफी देर तक खामोश बैठा  आस-पास निहारता रहा

“walking corpse syndrome …”खमोशी तोड़ते  हुए लोकेश बोला

“sorry..?”

“walking corpse syndrome… in which patients experienes delusions that they are dead, do not exist, are putrefying or have lost their vital organs.…”

"ये एक बीमारी थी ? पर नरक के उस फ्लैट का क्या? मै वहा ठा, तुम भी वहा थे  और Mercella, वो भी वहा थी...? "

"तुम अब भी नरक के उसी फ्लैट मे हो, जरा अपने चारो तरफ देखो तो "मैने अपने  चारो तरफ देखा ,

लोकेश सही बोल रहा था  ।मै अब भी उसी फ्लैट  मे अपने  रूम मे था. सिर्फ दीवरो के रंग थोड़े अलग थे । पर मेरे मन मे अब भी  कई सवाल थे, जो मै पुछ्ना चाहता था.

“तुम उस एक्सीडेंट के बाद खुद को मरा हुआ मानने लगे थे, तुम्हे बहुत गर्मी लगती थी , तुम आईने मे अपने आपको नही देख पाते थे, तुम्हे लगता था की  मेर पुरा शरीर  जला हुआ  है और तुम मुझे डेविल कहकर  बुलाते थे…वो सब कुच तुम्हरा डेल्यूजन यानी वहम या फिर कहे भ्रम था …एक्चुअली , तुम अपने सामने  जिसे भी  देखते उसे तुम अपनी मन -गढ़त कहानी मे एक किरदार  दे देते थे…जैसे हॉस्पिटल  के वार्डबॉय  को तुम्ने चित्रगुप्त बना दिया था  और मेरे दूसरे पेशंट Mercella  को एंजल....."

”आखिरी बार जब मैने अपना बर्थडे मनाया था तब मैन 28 साल का था । अब मेरी उम्र कितनी  है ? "

“35 । तुम सात साल से यहा हो ।तुमने मुझसे कई बार कहा था कि यदी तुम्हे कभी दोबारा इन्सान का जनम मिला तो तुम वो गलती  नही करोगे जो तुमने  इस जनम मे की  । see, god  is great …उसने तुम्हे इसी  जनम मे दुसरा जनम दे दिया । सबको  ये मौका नही मिलता हिमान्शु…कई लोगो को इस बिमारी से पुरी जिन्दगी छुटकारा नही मिलता  और वो यही सोचते हुए ही मर जाते है कि वो मरे हुए है…have a great life "

"Yeah.... god is great "

मै वहा दो दिन और रुका और फिर वहा से चला गया ।मुझे नही पता कि कल जब मै सुबह उठूंगा  तो मुझे इस बिमारी का  नाम  याद भी रहेगा  या  नही पर मै पुरे सात साल इस बिमारी  से झूझता  रहा और उस दौरन ऐस एक भी पल नही था …जब मै खुद पर शर्मिन्दा ना  रहा हू…मै उन सात सालो मे खुद से यही बोलता रहा कि काश मैने अपनी  जिन्दगी यूँ बर्बाद ना कि होती । की  काश भगवान मुझे कैसे भी  करके  एक और मौका  दे दे और भगवान  ने मुझे वो मौका दे दिया  था  इसलिए  मै अब अपनी जिन्दगी और बर्बाद नही करने वाला था ।…घर आकर मैने अपना बैग पैक  किया  और सीधे एयरपोर्ट  के लिये निकल गया,  वहा जाने के लिये जहा mercella रहती थी और जिसका पता मुझे डेविल ने दिया था....


******** T HE  END *********


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6 Comments

🤫

18-Aug-2021 02:22 AM

बेहद खूबसूरत...थोड़ी अलग लेकिन इंटरेस्टिंग कहानी।

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Yug Purush

18-Aug-2021 12:19 PM

alag me hee to maja hai...thank you

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Seema Priyadarshini sahay

17-Aug-2021 05:30 AM

खूबसूरत कहानी

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Yug Purush

18-Aug-2021 12:20 PM

thank you SPS ji

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Adeeba Riyaz

17-Aug-2021 03:27 AM

Achaa end thq

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Yug Purush

18-Aug-2021 12:20 PM

aur kahani...?

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